दीपावली या diwali भारत में सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश, ज्ञान और भलाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को खुशी, भक्ति और एकता का भाव देता है।
यह एक भव्य अवसर है जिसमें लोग उज्ज्वल उत्सव मनाते हैं। इसमें आध्यात्मिक रीति-रिवाज और सामाजिक सम्मेलन भी शामिल हैं। प्राचीन परंपराओं से जुड़ा यह त्योहार गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है।
‘दीपावली’ शब्द का अर्थ है ‘दीपों की एक पंक्ति’। इसका समारोह घरों और आसपास के परिवेश को रोशनी से भरने पर केंद्रित है। यह खुशी और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है।
key points:
- दीपावली या दिवाली भारत का सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है।
- यह प्रकाश की जीत, ज्ञान की जीत और भले की जीत का प्रतीक है।
- दीपावली के अवसर पर खुशी, भक्ति और एकता का भाव जगाया जाता है।
- दीपावली में उज्ज्वल उत्सव, आध्यात्मिक रीति-रिवाज और सामाजिक सम्मेलन शामिल होते हैं।
- दीपावली का अर्थ ‘दीपों की एक पंक्ति’ है और इसका समारोह घरों और आसपास के परिवेश को रोशनी से भरने पर केंद्रित है।
दिवाली का महत्व
diwali हिंदू, जैन और सिख धर्मों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार प्रकाश और नए जीवन का प्रतीक है। प्रत्येक धर्म में इसका अर्थ अलग है, लेकिन मूल भाव समान है – खुशी, समृद्धि और नई शुरुआत का उत्सव।
हिंदू धर्म में दिवाली का महत्व
हिंदू धर्म में, दिवाली भगवान राम की वापसी का जश्न है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे। उनका स्वागत दीपक जलाकर किया गया, जो प्रकाश का प्रतीक है।
जैन धर्म में दिवाली का महत्व
जैन धर्म में, दिवाली महावीर के निर्वाण का दिन है। महावीर जैन धर्म के संस्थापक थे और इस दिन उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। जैन समुदाय इस दिन महावीर का स्मरण करते हैं और उनके उपदेशों का पालन करते हैं।
सिख धर्म में दिवाली का महत्व
सिख धर्म में, दिवाली छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई का जश्न है। जब गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल शासक जहांगीर की कैद से छुड़वाया गया, तो इस खुशी को मनाने के लिए दिवाली मनाई गई।
इस प्रकार, दिवाली प्रत्येक धर्म में अलग-अलग महत्व रखती है। लेकिन इसका मूल भाव समान है – खुशी, समृद्धि और नई शुरुआत का उत्सव।
दिवाली 2024 की तारीख
diwali 2024 का पर्व बुधवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर, 2024 को शाम 3:52 बजे से शुरू होगा। यह अगले दिन, यानी 1 नवंबर, 2024 को शाम 6:16 बजे तक जारी रहेगा।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक (41 मिनट) है।
अमावस्या तिथि और मुहूर्त का समय
diwali 2024 का अमावस्या मुहूर्त 31 अक्टूबर, 2024 को शाम 3:52 बजे से शुरू होगा। यह अगले दिन, यानी 1 नवंबर, 2024 को शाम 6:16 बजे तक जारी रहेगा। इस दौरान लोग घरों में लक्ष्मी पूजा का आयोजन करते हैं।
शहरों के अनुसार लक्ष्मी पूजा का समय
कुछ शहरों में लोग 1 नवंबर, 2024 को दिवाली मनाएंगे। यह इसलिए क्योंकि अमावस्या तिथि 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे समाप्त हो रही है।
हालांकि, लक्ष्मी पूजा परंपरागत रूप से सूर्यास्त के बाद की जाती है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक (41 मिनट) है।
दिवाली का इतिहास और कथाएं
diwali का इतिहास और कथाएं बहुत विविध हैं। राम की वापसी पर दिवाली का इतिहास और कृष्ण और नरकासुर का युद्ध जैसी प्राचीन कथाएं इस त्योहार के पीछे के धार्मिक कारणों को उजागर करती हैं।
रामायण से संबंधित कथा
रामायण के अनुसार, दिवाली भगवान राम, माता सीता और श्री लक्ष्मण की अयोध्या लौटने का जश्न है। उनका भव्य स्वागत किया गया था। लोगों ने उनका स्वागत करने के लिए घरों और गलियों में दीपक जलाए।
इस प्रकार, दीपक जलाना दिवाली का एक महत्वपूर्ण रीति-रिवाज बन गया है।
कृष्ण से संबंधित कथा
भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने 16,000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। इस विजय का प्रतीक “नरक चतुर्दशी” के रूप में मनाया जाता है।
इन कथाओं से दिवाली से जुड़ी प्राचीन कथाएं और दिवाली के पीछे के धार्मिक कारण स्पष्ट होते हैं। दिवाली इन पौराणिक कहानियों के साथ जुड़ी हुई है।
दिवाली 2024 दिनों का विवरण
diwali का उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है। प्रत्येक दिन का अपना विशिष्ट महत्व, रीति-रिवाज और समारोह होता है। इस वर्ष, दिवाली की तारीख 2024 में आश्चर्यजनक रूप से दो दिनों पर पड़ती है – 31 अक्टूबर और 1 नवंबर।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, दिवाली का उत्सव कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष, कार्तिक अमावस्या दो दिनों तक चलती है, जिसके कारण दिवाली को या तो 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को मनाया जा सकता है।
लक्ष्मी पूजा के लिए, ज्योतिषियों और पंडितों का सुझाव है कि 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना इस वर्ष अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि अमावस्या का समय इस दिन अधिक महत्वपूर्ण है।
दिन | तारीख | महत्वपूर्ण गतिविधियां |
---|---|---|
धनतेरस | 29 अक्टूबर | धन और सम्पदा की पूजा, व्यापारियों के लिए नया लेखा-खाता प्रारंभ करना |
छोटी दिवाली | 31 अक्टूबर | दीपों की पूजा, त्योहार का आरंभ |
बड़ी दिवाली | 31 अक्टूबर या 1 नवंबर | लक्ष्मी पूजा, घरों की सजावट, रंगोली बनाना, मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान |
गोवर्धन पूजा | 2 नवंबर | गोवर्धन पर्वत की पूजा, गायों की पूजा |
भाई दूज | 3 नवंबर | बहनों द्वारा भाइयों का तिलक लगाना और उन्हें आशीर्वाद देना |
इस प्रकार, diwali का 5 दिवसीय उत्सव हिंदू धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में महत्वपूर्ण मानिया जाता है।दिवाली का पूरा कैलेंडर और दिवाली के 5 दिनों का महत्व इस उत्सव की विशेषताएं हैं।
धनतेरस: दिवाली का पहला दिन
diwali की श्रृंखला में धनतेरस का महत्व बहुत अधिक है। यह diwali का पहला दिन है, जब लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यालयों को साफ करते हैं। वे नई वस्तुएं खरीदते हैं और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। धनतेरस diwali की शुरुआत का प्रतीक है और इस दिन लक्ष्मी माता की कृपा मिलने का विश्वास किया जाता है।
धनतेरस की महत्वपूर्ण गतिविधियां
- धन की पूजा: धनतेरस पर लोग अपने घरों और व्यवसायों में धन, सोना, चांदी और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की पूजा करते हैं। यह धन और समृद्धि पर ध्यान देने का प्रतीक है।
- नई वस्तुओं की खरीदारी: धनतेरस पर लोग नई वस्तुएं, खासकर सोना, चांदी, दीपक और घर के सामान खरीदते हैं। यह नई शुरुआत और नए आरंभ का संकेत है।
- घर की सफाई और सजावट: लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं और सजाते हैं ताकि लक्ष्मी माता का स्वागत किया जा सके। यह शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है।
- लक्ष्मी पूजा: धनतेरस पर लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। यह समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
धनतेरस दिवाली की शुरुआत का महत्वपूर्ण दिन है और इस दिन लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न पूजन और रीतियां की जाती हैं।
नरक छतुर्दशी या छोटी दिवाली
diwali का दूसरा दिन, जिसे नरक छतुर्दशी या छोटी diwali कहा जाता है, बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मारा था। नरक चतुर्दशी का महत्व यह है कि लोग अपने घरों को सजाते हैं और दीपक जलाते हैं। वे अंधकार और बुराई को दूर भगाने के लिए ऐसा करते हैं। कई जगहों पर इस दिन पटाखे भी फोड़े जाते हैं。
नरकासुर एक बड़ा राक्षस था जिसने लोगों को सताया था। उसने देवी सुभद्रा को भी अपने पास रखा था। भगवान कृष्ण ने उसका वध कर दिया और सुभद्रा को मुक्त कराया। इस प्रकार, नरकासुर वध का त्योहार मनाया जाता है।
छोटी diwali क्या है यह बताता है कि यह दिवाली का दूसरा दिन है। इस दिन लोग अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। वे खुशियों का जश्न मनाते हैं।
diwali 2024 date in india
भारत में diwali 2024 का त्योहार बुधवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 2024 में दीपावली कब है के बारे में महत्वपूर्ण तारीखें और समय निम्नलिखित हैं:
- भारत में दिवाली 2024 की तारीख: 31 अक्टूबर, 2024
- अमावस्या तिथि शुरू: 31 अक्टूबर, 2024 को शाम 3:52 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 1 नवंबर, 2024 को शाम 6:16 बजे
- प्रदोष काल: शाम 5:12 बजे से शाम 7:43 बजे तक
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 5:12 बजे से शाम 6:16 बजे तक
- वृषभ मुहूर्त: शाम 6:00 बजे से रात 7:59 बजे तक
इन महत्वपूर्ण समयों का ध्यान रखकर, दिवाली 2024 दिनांक को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा सकता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
diwali का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को इंद्र देव के कहर से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, जो प्रकृति और मानव जाति की रक्षा के लिए होती है।
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा 2024 में 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे से शुरू होगी। यह 2 नवंबर को रात 8:21 बजे तक चलेगी। 2 नवंबर को सुबह 5:34 बजे से 8:46 बजे तक श्रेष्ठ समय है।
इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। यह पर्वत उत्तर प्रदेश के वृंदावन से लगभग 22 किलोमीटर दूर है। परिक्रमा करीब 21 किलोमीटर की है, जो 10 से 12 घंटे में पूरी होती है।
गोवर्धन परिक्रमा में लोग गोवर्धन महाराज को सम्मान देते हैं। वे छोटे छिद्र वाले पात्र में दूध डालते हैं। जो लोग दूध डालने की रीति नहीं निभाते, वे दूध चढ़ाते हैं।
माना जाता है कि गोवर्धन परिक्रमा को 7 बार पूरा करने से इच्छाएं पूरी होती हैं। यह पाप मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
गोवर्धन पूजा के दिन एक विशाल भोज का आयोजन होता है। इसे ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। इस भोज में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है।
इस प्रकार, गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है।
भाई दूज का महत्व
diwali का अंतिम दिन, भाई दूज के रूप में, बहुत विशेष है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र बंधन को सम्मानित करता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी आयु और कल्याण की कामना करती हैं।
भाई अपनी बहनों की रक्षा और सहायता का वचन देते हैं।
भाई दूज की परंपराएं
भाई दूज की कुछ प्रमुख परंपराएं इस प्रकार हैं:
- बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उसकी लंबी आयु और कल्याण की कामना करती है।
- भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त करता है।
- परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करते हैं और आनंद मनाते हैं।
- कुछ स्थानों में, बहन अपने भाई को लड्डू या अन्य मिठाइयां भेंट करती है।
भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भाई-बहन के बीच के प्रेम और एकता को प्रदर्शित करता है।
diwali त्योहार के दौरान, भाई दूज सभी भाइयों और बहनों के बीच प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है। यह त्योहार प्रमुख रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
दिवाली की तैयारियां और आयोजन
diwali को भारत और दुनिया भर में जहां भी भारतीय समुदाय रहते हैं, बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह एक ऐसा समय है जब परिवार और दोस्त एक साथ आकर एकता का जश्न मनाते हैं। घरों को दिवाली की सजावट से सुंदर बनाया जाता है, दिवाली रंगोली डिजाइन बनाई जाती है। एक-दूसरे को diwali पर मिठाइयों का आदान-प्रदान और दिवाली उपहार देने की परंपरा के तहत खुशी का आदान-प्रदान किया जाता है।
घर की सजावट
diwali पर घरों की सजावट में धूमधाम होती है। लोग अपने घरों को सुंदर रंगों से सजाते हैं, मंदिरों और पूजा स्थलों को सजाते हैं। पटाखों और दीपकों से रोशनी करते हैं।
इसके साथ ही लोग अपने घरों में नए रंग-बिरंगे फूलों और पौधों की सजावट करते हैं। यह सारी सजावट घर को पूरी तरह से उत्सव की छाप देती है।
रंगोली बनाना
diwali पर रंगोली बनाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। महिलाएं और बच्चे घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं जो घर के प्रवेश द्वार पर बनाई जाती है। ये रंगोली diwali के त्यौहार का प्रतीक होती हैं।
ये घर में खुशी और समृद्धि लाने का संकेत देती हैं।
मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान
diwali पर लोग एक-दूसरे को मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसका उद्देश्य एक-दूसरे के साथ खुशी और प्रेम का संदेश देना है।
लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों को उपहार देकर अपना प्यार और सम्मान व्यक्त करते हैं।
निष्कर्ष
diwali भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हिंदू, जैन और सिख धर्मों के लिए विशेष है। यह त्योहार आध्यात्मिक विकास, परिवारिक बंधन और समृद्धि को बढ़ावा देता है। दिवाली के पांच दिनों में विभिन्न अनुष्ठान और रीति-रिवाज मनाए जाते हैं। इनमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दिवाली का उत्सव मनाया जाता है। इसमें दीपों की रोशनी, लक्ष्मी पूजा और कार्ड खेलने जैसी अनूठी परंपराएं शामिल हैं। इस त्योहार में समृद्धि, परिवारिक प्यार और आध्यात्मिक उन्नति के संदेश हैं। यह समाज में एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है।
diwali 2024 में भारत में पांच दिनों तक मनाया जाएगा। यह त्योहार देश की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है। यह त्योहार हर भारतीय के जीवन में कुछ खास और अद्वितीय पल जोड़ता है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है।
FAQ
दीपावली या दिवाली क्या है?
दीपावली भारत में सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह प्रकाश, ज्ञान और भलाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को खुशी, भक्ति और एकता का भाव देता है।
दीपावली का क्या महत्व है?
diwali हिंदू, जैन और सिख धर्मों में विशेष महत्व रखती है। हिंदू धर्म में, यह रामायण से जुड़ा है। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अयोध्या लौटने पर यह त्योहार मनाया था। जैन धर्म में, यह महावीर का निर्वाण दिवस है। सिख धर्म में, यह गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई का दिन है।
दिवाली 2024 कब मनाई जाएगी?
diwali 2024 बुधवार, 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर, 2024 को शाम 3:52 बजे शुरू होगी। यह 1 नवंबर, 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 5:36 बजे से 6:16 बजे तक है।
दीपावली का इतिहास और कथाएं क्या हैं?
diwali के कई ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां हैं। रामायण के अनुसार, यह भगवान राम, माता सीता और श्री लक्ष्मण के अयोध्या लौटने का जश्न है। कृष्ण ने नरकासुर पर विजय प्राप्त की और 16,000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई।
दिवाली का उत्सव कितने दिनों तक चलता है?
diwali का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। प्रत्येक दिन का अपना विशिष्ट महत्व, रीति-रिवाज और समारोह होता है। 29 अक्टूबर 2024 को धनतेरस, 31 अक्टूबर को छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली, 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाती है।
धनतेरस का क्या महत्व है?
diwali का पहला दिन धनतेरस है। इस दिन लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को साफ करके सजाते हैं। नई वस्तुएं खरीदते हैं और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली क्या है?
diwali का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मार दिया था। इस दिन लोग अपने घरों को सुंदर रूप से सजाते हैं और दीपक जलाकर अंधकार और बुराई को दूर भगाते हैं।
गोवर्धन पूजा का क्या महत्व है?
diwali का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को इंद्र देव के कहर से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। इस दिन लोग प्रकृति और मानव जाति की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
भाई दूज का क्या महत्व है?
diwali का पांचवां और अंतिम दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। यह बहनों और भाइयों के पवित्र बंधन को सम्मानित करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी आयु और कल्याण की कामना करती हैं।
diwali की तैयारियों में क्या-क्या शामिल हैं?
diwali के लिए लोग अपने घरों को सुंदर ढंग से सजाते हैं। रंगोली बनाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां और उपहार देकर खुशी का आदान-प्रदान करते हैं। यह एक ऐसा समय है जब परिवार और दोस्त एक साथ आकर एकता का जश्न मनाते हैं।